कहानियां पढ़ने के होते हैं क्या-क्या फायदे,
स्कूल में लाइब्रेरी पीरियड में कुछ बच्चे कहानियों
की किताबों पर टूट पड़ते हैं। तुम देखोगे कि जो बच्चे कहानी पढ़ने में रुचि लेते
हैं, वे पढ़ाई में भी होशियार रहते हैं।
टॉपर्स में उनकी गिनती होती है।
अगर कोई कहे कि कहानी बड़े काम की चीज है,
तो ध्यान जरूर हितोपदेश या कोई सीख देने वाली कहानी की ओर ही जाएगा।
लेकिन राजा-रानी, जासूसी कहानी, जानवरों
की कहानी वगैरह केवल सीख भर नहीं देतीं। दरअसल बच्चे यह बात समझ नहीं पाते। लेकिन
कहानियों पर रिसर्च करने वाले इसकी उपयोगिता समझ गए हैं। एक रिसर्च में यह बात
सामने आई कि जो बच्चे सोने से ठीक पहले 20 मिनट कहानियां
पढ़ते हैं, उनकी पढ़ने की क्षमता बढ़ती है।
सीखने की क्षमता
अमेरिका के एक एनजीओ ने एक अभियान चलाया है। यह संगठन बच्चों को रात में 20 मिनट तक कहानियां पढ़ने के लिए कहता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर कोई बच्चा हर रात सोते वक्त 20 मिनट तक कहानियां पढ़ता है, तो उसकी सीखने की क्षमता इतनी बढ़ जाती है, मानो उसने एक्स्ट्रा दस दिन तक स्कूल कोचिंग ली हो। वहीं बच्चों की कहानियों की मशहूर लेखिका लॉरा न्यूमेरॉफ पढ़ने की आदत को विकसित करने के लिए प्रकाशन कंपनी फर्स्ट बुक की मदद से ‘स्लीपीज बेड टाइम स्टोरीज’ नाम से एक कार्यक्रम चला रही हैं।
अमेरिका के एक एनजीओ ने एक अभियान चलाया है। यह संगठन बच्चों को रात में 20 मिनट तक कहानियां पढ़ने के लिए कहता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर कोई बच्चा हर रात सोते वक्त 20 मिनट तक कहानियां पढ़ता है, तो उसकी सीखने की क्षमता इतनी बढ़ जाती है, मानो उसने एक्स्ट्रा दस दिन तक स्कूल कोचिंग ली हो। वहीं बच्चों की कहानियों की मशहूर लेखिका लॉरा न्यूमेरॉफ पढ़ने की आदत को विकसित करने के लिए प्रकाशन कंपनी फर्स्ट बुक की मदद से ‘स्लीपीज बेड टाइम स्टोरीज’ नाम से एक कार्यक्रम चला रही हैं।
यूं बनेगी आदत
पढ़ने की
पढ़ने की आदत की शुरुआत अपनी मनपसंद सामग्री से होती है। लेकिन जब एक बार यह आदत पड़ जाती है, तो फिर पढ़ने में भी मजा आने लगता है। स्कूल से आने के बाद बच्चे होमवर्क-टय़ूशन से थक भी जाते हो, इसीलिए शुरू-शुरू में मजेदार कहानियां पढ़ों। किसी समय-सीमा को तय किए बगैर उतनी ही देर कहानियां पढ़ें, जब तक वे बोझिल न लगें। हां, शुरू में कुछ दिन सिर्फ 3-4 पन्ने पढ़ कर सो जाये । अगले दिन, यह जिज्ञासा जगेगी कि कहानी में आगे क्या हुआ होगा। देखना एक बार पढ़ने की आदत लग गई, तो तुम पास ही की किसी लाइब्रेरी में कहानी की किताबों को टटोलते मिलेगे।
पढ़ने की आदत की शुरुआत अपनी मनपसंद सामग्री से होती है। लेकिन जब एक बार यह आदत पड़ जाती है, तो फिर पढ़ने में भी मजा आने लगता है। स्कूल से आने के बाद बच्चे होमवर्क-टय़ूशन से थक भी जाते हो, इसीलिए शुरू-शुरू में मजेदार कहानियां पढ़ों। किसी समय-सीमा को तय किए बगैर उतनी ही देर कहानियां पढ़ें, जब तक वे बोझिल न लगें। हां, शुरू में कुछ दिन सिर्फ 3-4 पन्ने पढ़ कर सो जाये । अगले दिन, यह जिज्ञासा जगेगी कि कहानी में आगे क्या हुआ होगा। देखना एक बार पढ़ने की आदत लग गई, तो तुम पास ही की किसी लाइब्रेरी में कहानी की किताबों को टटोलते मिलेगे।
टेंशन हो छूमंतर
जब स्कूल में नया एडमिशन हो या फिर पेरेंट्स या टीचर की ओर से बेहतर करने का दबाव हो, तो तनाव में आ जाना स्वाभाविक है। डॉक्टर्स का मानना है कि अगर बच्चे खुद कहानियां नहीं पढ़ना चाहते, तो अपने पेरेंट्स से कहे कि वे सोने से ठीक पहले कोई कहानी पढ़ कर सुनाएं। यकीनन मन में छिपा डर, चिंता वगैरह सब दूर हो जाएंगे और पेरेंट्स का भी तनाव छूमंतर हो जाएगा।
जब स्कूल में नया एडमिशन हो या फिर पेरेंट्स या टीचर की ओर से बेहतर करने का दबाव हो, तो तनाव में आ जाना स्वाभाविक है। डॉक्टर्स का मानना है कि अगर बच्चे खुद कहानियां नहीं पढ़ना चाहते, तो अपने पेरेंट्स से कहे कि वे सोने से ठीक पहले कोई कहानी पढ़ कर सुनाएं। यकीनन मन में छिपा डर, चिंता वगैरह सब दूर हो जाएंगे और पेरेंट्स का भी तनाव छूमंतर हो जाएगा।
बन जाएगें
क्रिएटिव
कहानियां बच्चों लिखने के लिए भी प्रेरित करती हैं। बच्चों वही कहानी पसंद आती है, जिसका अंत उनकी सोच से अलग होता है, वरना वे सोचते है , भला इसमें नया क्या था! जिस प्रकार जब कोई फिल्म देखने जाते है और उसकी कहानी व उसका अंत ऐसा होता है कि जो बिल्कुल नहीं सोचा होता, तो लेखक के लिए तुम तालियां जरूर बजाते है । जब सोच और वह कहानी दोनों साथ-साथ चलती हैं और जब कहानी का अंत कुछ मजेदार व अलग निकलता है, तो कुछ नया सोचने, लिखने के लिए प्रेरित होते है। जब अलग-अलग कहानियों को पढ़ते है , तो उसमें आए आइडिया के अलावा नए विचारों की ओर भी बढ़ते है। अपना दिमाग लगा कर जब सोचने बैठते है , तो कहानियों की बदौलत ढेर सारे आइडिया होते हैं। चीजों को देखने का तुम्हारा अपना नजरिया विकसित होता है।
कहानियां बच्चों लिखने के लिए भी प्रेरित करती हैं। बच्चों वही कहानी पसंद आती है, जिसका अंत उनकी सोच से अलग होता है, वरना वे सोचते है , भला इसमें नया क्या था! जिस प्रकार जब कोई फिल्म देखने जाते है और उसकी कहानी व उसका अंत ऐसा होता है कि जो बिल्कुल नहीं सोचा होता, तो लेखक के लिए तुम तालियां जरूर बजाते है । जब सोच और वह कहानी दोनों साथ-साथ चलती हैं और जब कहानी का अंत कुछ मजेदार व अलग निकलता है, तो कुछ नया सोचने, लिखने के लिए प्रेरित होते है। जब अलग-अलग कहानियों को पढ़ते है , तो उसमें आए आइडिया के अलावा नए विचारों की ओर भी बढ़ते है। अपना दिमाग लगा कर जब सोचने बैठते है , तो कहानियों की बदौलत ढेर सारे आइडिया होते हैं। चीजों को देखने का तुम्हारा अपना नजरिया विकसित होता है।
नींद भी आएगी
मीठी-मीठी
कुछ बड़े भी यही सोचते हैं कि नींद नहीं आ रही, चलो टीवी देखते हैं। टीवी देखते-देखते आंखें थकने लगती है, तो नींद खुद-ब-खुद आ जाती है। टीवी में जो सामने आता रहा, देखते रहे, अपना दिमाग कुछ भी नहीं लगा। इसकी बजाए अगर कोई अच्छी कहानी की किताब के कुछ पन्ने उलटोगे, तो अच्छी नींद तो आएगी ही, साथ ही हमारे दिमाग में नए विचार और कुछ नया करने की इच्छा भी जागेगी। क्या पता आज अच्छी नींद के लिए अपनायी गई यह आदत बड़े होने पर एक मशहूर लेखक बना दे।
कुछ बड़े भी यही सोचते हैं कि नींद नहीं आ रही, चलो टीवी देखते हैं। टीवी देखते-देखते आंखें थकने लगती है, तो नींद खुद-ब-खुद आ जाती है। टीवी में जो सामने आता रहा, देखते रहे, अपना दिमाग कुछ भी नहीं लगा। इसकी बजाए अगर कोई अच्छी कहानी की किताब के कुछ पन्ने उलटोगे, तो अच्छी नींद तो आएगी ही, साथ ही हमारे दिमाग में नए विचार और कुछ नया करने की इच्छा भी जागेगी। क्या पता आज अच्छी नींद के लिए अपनायी गई यह आदत बड़े होने पर एक मशहूर लेखक बना दे।
बने दूसरों से
अलग
अच्छी कहानियों की किताबें जानकार लोग लिखते हैं। वे अपने अनुभव और रिसर्च से उसे तैयार करते हैं। इन किताबों को पढ़ कर भाषा पर पकड़ तो बनती ही है, साथ ही चलते-फिरते जानकारी बैंक बन जाते है। भाषा मुहावरेदार हो जाती है और जब बोलते है , तो उसका प्रभाव अलग ही दिखता है। अगर अंग्रेजी कहानियों को पढ़ना शुरू करोगे, तो धीरे-धीरे तुम खुद की अंग्रेजी भाषा में सुधार देखोगे।
अच्छी कहानियों की किताबें जानकार लोग लिखते हैं। वे अपने अनुभव और रिसर्च से उसे तैयार करते हैं। इन किताबों को पढ़ कर भाषा पर पकड़ तो बनती ही है, साथ ही चलते-फिरते जानकारी बैंक बन जाते है। भाषा मुहावरेदार हो जाती है और जब बोलते है , तो उसका प्रभाव अलग ही दिखता है। अगर अंग्रेजी कहानियों को पढ़ना शुरू करोगे, तो धीरे-धीरे तुम खुद की अंग्रेजी भाषा में सुधार देखोगे।
कहानी का विषय
पिछले साल दिल्ली की दसवीं कक्षा में टॉपर रहे अधिकतर छात्रों के शौक में कहानियां पढ़ना शामिल रहा। शुरुआत में अपनी रुचि को जाने । दिलचस्प और नई-नई बातों और विचारों को बताने वाली किताबों को ही पढे।
पिछले साल दिल्ली की दसवीं कक्षा में टॉपर रहे अधिकतर छात्रों के शौक में कहानियां पढ़ना शामिल रहा। शुरुआत में अपनी रुचि को जाने । दिलचस्प और नई-नई बातों और विचारों को बताने वाली किताबों को ही पढे।
आई-क्यू में बदलाव
दुनियाभर में जितने भी बच्चे हैं, सबका आई क्यू लेवल एक दूसरे से कम या ज्यादा होता है। माना जाता है कि कहानियां पढ़ने से जहां बच्चों के आई क्यू में जबरदस्त अच्छा बदलाव आता है, वहीं वे अधिक कल्पनाशील भी हो जाते हैं।
दुनियाभर में जितने भी बच्चे हैं, सबका आई क्यू लेवल एक दूसरे से कम या ज्यादा होता है। माना जाता है कि कहानियां पढ़ने से जहां बच्चों के आई क्यू में जबरदस्त अच्छा बदलाव आता है, वहीं वे अधिक कल्पनाशील भी हो जाते हैं।
कुछ ऐसी किताबें, जिनसे पढ़ने की शुरुआत की जा सकती है
तेनालीराम
पैंथर्स मून
पंचतंत्र की कहानियां
हितोपदेश
बेताल पच्चीसी
स्टुअर्ट लिटिल
चार्ली एंड द चॉकलेट फैक्टरी
द ट्रंपेट ऑफ स्वान
तोतो चान
इफ यू गिव ए माउस ए कुकी
द बॉय हू क्राइड वुल्फ
द अग्ली डकलिंग
द आन्ट एंड द ग्रासहॉपर
द हेयर एंड द टोरटॉयज
स्नो व्हाइट एंड द सेवन ड्वाफ्र्स
सिंड्रेला
जैक एंड द बीनस्टॉक
थ्री लिटिल पिग्स
तेनालीराम
पैंथर्स मून
पंचतंत्र की कहानियां
हितोपदेश
बेताल पच्चीसी
स्टुअर्ट लिटिल
चार्ली एंड द चॉकलेट फैक्टरी
द ट्रंपेट ऑफ स्वान
तोतो चान
इफ यू गिव ए माउस ए कुकी
द बॉय हू क्राइड वुल्फ
द अग्ली डकलिंग
द आन्ट एंड द ग्रासहॉपर
द हेयर एंड द टोरटॉयज
स्नो व्हाइट एंड द सेवन ड्वाफ्र्स
सिंड्रेला
जैक एंड द बीनस्टॉक
थ्री लिटिल पिग्स
साभार हिंदुस्तान