पूरी
ठंड सो जाते हैं ये जानवर
दुनिया भर में ठंड का मौसम आरंभ हो चुका है। जानवर हों या
फिर इंसान, सभी को ठंड परेशान करती है।
इंसान तो अपना बचाव गर्म कपड़ों की मदद से कर लेते हैं, पर
जानवर ऐसे में क्या करते होंगे? उनके पास तो कपड़े होते
नहीं। ऊपर से जंगल में ठंड भी ज्यादा लगती है। ऐसे में कई जानवर हाइबरनेशन में चले
जाते हैं। जहां ये लंबे समय तक सोते रहते हैं। आज ऐसे ही जानवरों के बारे में
जानते हैं।
भालू
भालू की चार तरह की प्रजातियां सर्दियों का अधिकांश समय जमीन में खोदे गए गड्ढों, मांद, गुफाओं या खोखले पेड़ों में सो कर बिताती हैं। अमेरिकी काले भालू, एशियाई काले भालू, भूरे भालू और ध्रुवीय भालू या पोलर बीयर, ये चार ऐसी प्रजातियां हैं, जो सर्दियों के दिन नींद में बिताना पसंद करती हैं। काले भालू सर्दियों का अधिकांश समय जमीन में खोदे गए गड्ढों, मांद, गुफाओं या खोखले पेड़ों में सोकर बिताते हैं।
भालू की चार तरह की प्रजातियां सर्दियों का अधिकांश समय जमीन में खोदे गए गड्ढों, मांद, गुफाओं या खोखले पेड़ों में सो कर बिताती हैं। अमेरिकी काले भालू, एशियाई काले भालू, भूरे भालू और ध्रुवीय भालू या पोलर बीयर, ये चार ऐसी प्रजातियां हैं, जो सर्दियों के दिन नींद में बिताना पसंद करती हैं। काले भालू सर्दियों का अधिकांश समय जमीन में खोदे गए गड्ढों, मांद, गुफाओं या खोखले पेड़ों में सोकर बिताते हैं।
शीत निद्रा के दौरान काले भालू का दिल प्रति मिनट ड्रॉप 40-50 से गिर कर 8 बार रह जाता है और
वह लगभग 100 दिन तक बिना भोजन-पानी के आराम से रह सकता है।
एल्पाइन मेरमोट्स
मेरमोट्स पूरे साल में तकरीबन 8 से 9 माह के लिए हाइबरनेशन में चले जाते हैं। शीत निद्रा के दौरान वे हर मिनट में 2 या 3 बार ही सांस लेते हैं। यही नहीं, इनके दिल की धड़कन भी 120 बीट प्रतिमिनट से घट कर 3 या 4 बीट प्रति मिनट ही रह जाती है। ये मुख्य तौर पर मध्य और दक्षिण यूरोप में पाए जाते हैं।
मेरमोट्स पूरे साल में तकरीबन 8 से 9 माह के लिए हाइबरनेशन में चले जाते हैं। शीत निद्रा के दौरान वे हर मिनट में 2 या 3 बार ही सांस लेते हैं। यही नहीं, इनके दिल की धड़कन भी 120 बीट प्रतिमिनट से घट कर 3 या 4 बीट प्रति मिनट ही रह जाती है। ये मुख्य तौर पर मध्य और दक्षिण यूरोप में पाए जाते हैं।
चमगादड़
अगर चमगादड़ अकेले हों तो वे सबसे लंबे समय तक शीत निद्रा में रह सकते हैं। जंगली भूरे चमगादड़ 64 से 66 दिनों तक और ज्यादा से ज्यादा 344 दिनों तक नींद की अवस्था में रह सकते हैं। इस दौरान इस छोटे से प्राणी को भोजन की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन अपनी प्यास बुझाने के लिए ये जागते हैं। इनके दिल की धड़कन शीत निद्रा में 1000 से गिर कर 25 ही रह जाती है और कुछ चमगादड़ तो हर दो घंटे में केवल एक बार ही सांस लेते हैं।
अगर चमगादड़ अकेले हों तो वे सबसे लंबे समय तक शीत निद्रा में रह सकते हैं। जंगली भूरे चमगादड़ 64 से 66 दिनों तक और ज्यादा से ज्यादा 344 दिनों तक नींद की अवस्था में रह सकते हैं। इस दौरान इस छोटे से प्राणी को भोजन की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन अपनी प्यास बुझाने के लिए ये जागते हैं। इनके दिल की धड़कन शीत निद्रा में 1000 से गिर कर 25 ही रह जाती है और कुछ चमगादड़ तो हर दो घंटे में केवल एक बार ही सांस लेते हैं।
गार्टर स्नेक
मादा मधुमक्खी से अलग गार्टर स्नेक ग्रुप में शीत निद्रा में जाते हैं। कनाडा में हजारों सांप एक साथ शीत निद्रा में पाए गए हैं। सर्दियां खत्म होने पर ये बाहर आ जाते हैं।
मादा मधुमक्खी से अलग गार्टर स्नेक ग्रुप में शीत निद्रा में जाते हैं। कनाडा में हजारों सांप एक साथ शीत निद्रा में पाए गए हैं। सर्दियां खत्म होने पर ये बाहर आ जाते हैं।
हेडगेहॉग
ये सबसे ज्यादा समय तक सोते रहते हैं। इस समय इनके शरीर का तापमान कम होता जाता है और ये धीरे-धीरे सांस लेते हैं। इनके शरीर में खास तरह के सेल्स होते हैं, जो इस समय में शरीर को गर्म बनाए रखते हैं।
ये सबसे ज्यादा समय तक सोते रहते हैं। इस समय इनके शरीर का तापमान कम होता जाता है और ये धीरे-धीरे सांस लेते हैं। इनके शरीर में खास तरह के सेल्स होते हैं, जो इस समय में शरीर को गर्म बनाए रखते हैं।
कॉमन पुअरविल
क्या तुम कभी सोच भी सकते हो कि कोई चिडिया भी हाइबरनेट करेगी। हां, ऐसी ही एक चिडिया है। यह ठंड के मौसम में पहाड़ों की ओट में जाकर छिप जाती है और वहां से 5 महीनों तक बाहर नहीं निकलती। यह ज्यादातर अमेरिका में मिलती है।
क्या तुम कभी सोच भी सकते हो कि कोई चिडिया भी हाइबरनेट करेगी। हां, ऐसी ही एक चिडिया है। यह ठंड के मौसम में पहाड़ों की ओट में जाकर छिप जाती है और वहां से 5 महीनों तक बाहर नहीं निकलती। यह ज्यादातर अमेरिका में मिलती है।
क्या है हाइबरनेशन ?
हाइबरनेशन यानी शीत निद्रा या सुप्तावस्था। कुछ जानवर, पक्षी और सरीसृप जमीन के नीचे या ऐसी जगह में छिप जाते हैं, जहां उन पर ठंड का असर न हो और उस सुरक्षित जगह पर वे पूरी सर्दियों के मौसम में यानी तीन से चार महीने तक लगातार सोए रहते हैं। उनकी लंबी नींद की इसी अवस्था को हाइबरनेशन या शीत निद्रा कहते हैं।
हाइबरनेशन यानी शीत निद्रा या सुप्तावस्था। कुछ जानवर, पक्षी और सरीसृप जमीन के नीचे या ऐसी जगह में छिप जाते हैं, जहां उन पर ठंड का असर न हो और उस सुरक्षित जगह पर वे पूरी सर्दियों के मौसम में यानी तीन से चार महीने तक लगातार सोए रहते हैं। उनकी लंबी नींद की इसी अवस्था को हाइबरनेशन या शीत निद्रा कहते हैं।
कैसे बचाती है शीत निद्रा
शीत निद्रा की अवस्था में भोजन न मिलने पर जानवरों के शरीर की बढ़ी हुई चर्बी धीरे-धीरे जलती रहती है और उन्हें जीवनदान देती है। क्योंकि इस काल में जानवर कोई भी शारीरिक गतिविधि नहीं करते, इसलिए उन्हें ज्यादा ऊर्जा या भोजन की आवश्यकता नहीं होती। वह अपने शरीर पर जमी चर्बी से ही ऊर्जा लेते हैं और नींद का आनंद उठाते हैं। इस तरह शीत निद्रा के लिए जाते समय पशु-पक्षी स्वाभाविक रूप से अपने शरीर को विकट परिस्थितियों के अनुकूल बना लेते हैं। लोमड़ी तो कई महीने पहले से ही भविष्य के लिए मांस आदि इकट्ठा करना शुरू कर देती है, जो कि बर्फ और ठंड के कारण महीनों खराब नहीं होता और लंबे समय तक लोमड़ी के खाने के काम आता है।
शीत निद्रा की अवस्था में भोजन न मिलने पर जानवरों के शरीर की बढ़ी हुई चर्बी धीरे-धीरे जलती रहती है और उन्हें जीवनदान देती है। क्योंकि इस काल में जानवर कोई भी शारीरिक गतिविधि नहीं करते, इसलिए उन्हें ज्यादा ऊर्जा या भोजन की आवश्यकता नहीं होती। वह अपने शरीर पर जमी चर्बी से ही ऊर्जा लेते हैं और नींद का आनंद उठाते हैं। इस तरह शीत निद्रा के लिए जाते समय पशु-पक्षी स्वाभाविक रूप से अपने शरीर को विकट परिस्थितियों के अनुकूल बना लेते हैं। लोमड़ी तो कई महीने पहले से ही भविष्य के लिए मांस आदि इकट्ठा करना शुरू कर देती है, जो कि बर्फ और ठंड के कारण महीनों खराब नहीं होता और लंबे समय तक लोमड़ी के खाने के काम आता है।
कॉमन बॉक्स टर्टल
दक्षिणी-उत्तरी अमेरिका और इसके आसपास के इलाकों में ये छिपे हुए पाए जाते हैं। ये 77 से लेकर 154 दिनों के लिए सुप्तावस्था में जाते हैं। इस समय ये सांस लेने के लिए हवा का नहीं, बल्कि अपनी त्वचा का सहारा लेते हैं। इस समय इनके दिल की धड़कन 1 बीट प्रति 5-10 मिनट तक पहुंच जाती है।
दक्षिणी-उत्तरी अमेरिका और इसके आसपास के इलाकों में ये छिपे हुए पाए जाते हैं। ये 77 से लेकर 154 दिनों के लिए सुप्तावस्था में जाते हैं। इस समय ये सांस लेने के लिए हवा का नहीं, बल्कि अपनी त्वचा का सहारा लेते हैं। इस समय इनके दिल की धड़कन 1 बीट प्रति 5-10 मिनट तक पहुंच जाती है।
मक्खी
तापमान के गिरने पर पुरुष और अन्य काम करने वाली मक्खियां ठंड के कारण मर जाती हैं, लेकिन रानी मक्खी शीत निद्रा में जाने के कारण खुद को जीवित रख पाती है। सुप्तावस्था के दौरान रानी मक्खी मिट्टी में सुराख कर, पेड़ के किसी छोटे छेद में या पत्तों के ढेर में कहीं छिप जाती है। छह से आठ महीने शीत निद्रा में रह कर जब वह बाहर आती है तो नया घोंसला बनाती है और मधुमक्खियों की एक पूरी नई टीम फिर से तैयार करती है।
तापमान के गिरने पर पुरुष और अन्य काम करने वाली मक्खियां ठंड के कारण मर जाती हैं, लेकिन रानी मक्खी शीत निद्रा में जाने के कारण खुद को जीवित रख पाती है। सुप्तावस्था के दौरान रानी मक्खी मिट्टी में सुराख कर, पेड़ के किसी छोटे छेद में या पत्तों के ढेर में कहीं छिप जाती है। छह से आठ महीने शीत निद्रा में रह कर जब वह बाहर आती है तो नया घोंसला बनाती है और मधुमक्खियों की एक पूरी नई टीम फिर से तैयार करती है।
साभार हिंदुस्तान