ऐसे
बना सौरमंडल
5 अरब साल पहले न सूरज था, न पृथ्वी और न कोई और ग्रह।
तब सिर्फ गैस और धूल कण के बादल थे। एक तारे में विस्फोट के कारण जो तरंगें
उत्पन्न हुईं, उनसे गुरुत्वाकर्षण के कारण गैस और धूल कण
एक-दूसरे के करीब आते गए और फिर सूरज व अन्य ग्रह बने। वैज्ञानिक भाषा में इसे
हमारी आकाशगंगा में हुआ सुपरनोवा विस्फोट भी कहा जाता है। तुम्हें यह जानकर
ताज्जुब होगा कि हमारे सौरमंडल का जो वजन है, उसका 99.8
प्रतिशत से अधिक वजन केवल सूर्य का ही है। हमारी पृथ्वी सूर्य से
लगभग 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर की दूरी
पर है। सूर्य की किरण को प्रकाश की गति से हमारी पृथ्वी तक पहुंचने में लगभग 8
मिनट समय लग जाता है। हमारे सौरमंडल में 44 क्षुद्र
ग्रहों की खोज हो चुकी है। ग्रहों के अपने-अपने उपग्रह हैं। जिस तरह हमारा उपग्रह
चंद्रमा है, उसी तरह शनि ग्रह के 21 उपग्रह
हैं। हमारे सौरमंडल में दर्जनों धूमकेतु, पुच्छल तारे आदि
हैं। तुम सोच रहे होगे कि ग्रह तो 9 हैं। तुमने सही सुना था,
लेकिन नए शोध के अनुसार प्लूटो से बड़े कई उपग्रह, क्षुद्रग्रह हैं, जो सूर्य के चक्कर काटते हैं और
ग्रह कहलाने के हकदार हैं। हालांकि फिर से ग्रहों की संख्या 9 होने वाली है। प्लूटो की जगह टेकी लेने वाला है, जिसे
नासा ने बृहस्पति से 4 गुना बड़ा पाया है।