Thursday, March 5, 2015

हर रंग के होते हैं अलग मायने

रंगों की दुनिया बड़ी ही लुभावनी होती है। प्रत्येक रंग का अपना एक अर्थ और व्याकरण होता है, उसका अपना मिजाज और आकर्षण होता है। रंगों का मनुष्य के शरीर से नहीं, उसकी मनः स्थिति और मूड से भी गहरा रिश्ता है। वे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर अपना प्रभाव डालते हैं।
हर रंग का आपना एक स्वभाव है जो किसी- न-किसी इंसान के मिजाज से मेल खाता है। यही कारण है कि रंगों के संबंध में विभिन्न प्रकार के लोगों के चरित्र के अनुरूप पसंद या नापसंद होती है।
कुछ लोग लाल रंग अधिक पसंद करते हैं, तो कुछ हरा रंग। कुछ नीला चाहते हैं तो कुछ अन्य पीले रंग में अपनी अनुकूल अभिरुचि अभिव्यक्त करते हैं। कुछ लोगों को बैंगनी रंग पसंद होता है तो कुछ को नारंगी या गुलाबी आखिर ऐसा क्यों होता है? दरअसल ये रंग ही मनुष्य के स्वभाव को बयां करते हैं।
सफेद रंगः यह रंग संपूर्ण रंग माना जाता है। जो लोग आत्मपूर्णता के खोजी हैं वे सफेद रंग ही पसंद करते हैं। शुद्धता का प्रतीक सफेद रंग सूखा और निरानंद है। भावनात्मक रूप में देखा जाए तो यह रंग ठंडा रंग है।
पीला रंगः यह रंग मानसिक आध्यात्मिक है। जो लोग पीला रंग पसंद करते हैं वे प्रायः भौतिक जगत (व्यावहारिक संसार) से संतुलन बनाए रख पाने में थोड़ी कठिनाई पाते हैं। पीला रंग ज्योति का पर्याय माना जाता है। इसको देखने से मन में प्रकाश, ज्ञान का आभास होता है। इसका मस्तिष्क पर सीधा प्रभाव पड़ता है और मन अध्यात्म की ओर उन्मुख हो जाता है। देवी-देवताओं को अधिकतर पीला वस्त्र ही पहनाया जाता है।
नारंगी रंगः यह रंग प्रसन्नता और सामाजिकता का घोतक है। वे लोग जो अपने सामाजिक संबंधों की उष्मता को बनाए रखना चाहते हैं, नारंगी रंग पसंद करते हैं। इस रंग का अधिक उपयोग करने वाले व्यक्ति सामान्यतः दो व्यक्तियों के बीच होने वाले संबंधों को बेहतर संबंधों का कायम रखने के लिए सक्रिय दिलचस्पी लेते हैं। ऐसे लोग विचारवान होते हैं। नारंगी रंग से मानसिक शक्ति को भी वढ़ावा मिलता है।
गुलाबी रंगः कोमलता, सज्जनता और स्नेह का प्रतीक है। अमूमन युवा वर्ग गुलाबी रंग के प्रति आकर्षित रहता है। अतः गुलाबी रंग की पसंद को अवस्यकता का प्रतीक भी माना जाता है। गुलाबी रंग मन को शांति प्रदान करता है। आक्रामक व्यवहार और असामाजिक आचरण से ग्रस्त लोगों के लिए गुलाबी परिवेश शमनकारी होता है। जिन लोगों को अनिद्रा और तनाव रहता है उन्हें अपने कमरे में गुलाबी रंग से पेंट करवाना चाहिए।
नीला रंगः यह रंग मानसिक शांति प्रदान करता है। शारीरिक संतुलन को बनाए रखने में कारगर भूमिका निभाता है। यह रक्तचाप को नियंत्रित करता है और नाड़ी की गति सामान्य बनाए रखने में सहायक होता है। श्वांस संबंधी बीमारी, तनाव अनिद्रा में नीला रंग राहत देता है। यह उत्तेजित मानसिक तरंगों को काबू में रखता है। नीला रंग अधिकतर अंतर्मुखी लोगों द्वारा पसंद किया जाता है। यह अनुदार, किंतु कार्य प्रवण लोगों का रंग है। आत्मनिरीक्षण के लिए व्यक्ति को प्रेरित करता है।
यह रंग मन को परलौकिकता की ओर ले जाता है। यह स्वच्छ शीतल और शुद्ध माना गया है। यह शांति, अहिंसा और कल्पना का प्रतीक है। यह व्यक्ति को अभिनव कल्पना और मौलिक सृजन की ओर प्रेरित करता है।
बैंगनी रंग / जामुनी रंगः यह सामान्य लोगों की पसंद का रंग है। इस रंग का अधिक प्रयोग व्यक्ति को परिष्कृत अभिरुचियों की ओर संकेत करता है। यह रंग भी कल्पना प्रधान है। इसका असर जादू-सा होता है। रहस्य को छिपाए हुए यह रंग बलिदान की प्रवृत्ति की ओर भी व्यक्ति को उन्मुख कर सकता है। प्राचीनकाल में यह रंग धैर्य बलिदान के लिए उपयोग में लाया जाता है। यह प्रायश्चित और तप का भी प्रतीक माना गया है।
लाल रंगः यह रंग प्रभुत्व, शक्ति और ऊर्जा का पर्याय है। यह एक साथ प्रेम और हिंसा का प्रतीक है। लाल हिंसक क्रांति का प्रतीक है। स्त्रियां मांग में लाल रंग का सिंदूर लगातीं हैं। लाल रंग मस्तिष्क की तरंगे उत्तेजित करता है। यह रत्तचाप बढ़ाता है और पाचन क्रिया अधिक गतिशील करता है। लाल रंग भक्ति और धार्मिक अनुराग का भी प्रतीक है।
हरा रंगः यह राहत पहुंचाने वाला रंग है। संतुलित और सहज है। सामाजिक रूप से यह कई व्यक्तियों का पसंदीदा रंग होता है। सभ्य और परम्पराप्रिय व्यक्तियों का भी पसंदीदा रंग हरा रंग होता है। यह रंग शाति का प्रतीक है और मन की चंचलता को दूर करता है।



साभार नईदुनिया  

prathamik shikshak

pathak diary