दक्षिणी ध्रुव पर अकेले पहुंचे फ्रेडरिक
जहां बर्फीली हवा अपने रास्ते में हर चीज उड़ाती और जमाती चलती है, वहां तक की यात्रा कर फ्रेडरिक डायोन ने अपना नाम गिनीज बुक में लिखवा लिया है...
फ्रेडरिक का यह सफर अभी खत्म नहीं हुआ है। उनका सपना है कि वह हर्कुलस इनलेट नामक स्थान तक का सफर अकेले तय करें। इसके लिए उन्हें 1,130 किलोमीटर का सफर तय करना होगा।
फ्रेडरिक कई बहादुरी के कारनामे कर चुके हैं। उन्होंने आल्प्स पर्वत में फंसे 9 रूसी पर्यटकों को बचाया था, इसके लिए कनाडा सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया। उन्हें कई देशों में लेक्चर देने के लिए बुलाया जा चुका है।
जहां बर्फीली हवा अपने रास्ते में हर चीज उड़ाती और जमाती चलती है, वहां तक की यात्रा कर फ्रेडरिक डायोन ने अपना नाम गिनीज बुक में लिखवा लिया है...
कनाडा के क्यूबेक में रहने वाले 37 साल के फ्रेडरिक डायोन इतने बहादुर निकले कि दक्षिणी ध्रुव पर अकेले ही पहुंच गए। दरअसल यह फ्रेडरिक का सपना था। इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में दर्ज हो गया है। उन्होंने यह कारनामा काइट स्की की मदद से 45 दिन में कर दिखाया। उन्होंने 9 नवंबर को अंटार्कटिक तट से शुरुआत की। यह अंटार्कटिक का सबसे दूर का क्षेत्र है। वहां -50 डिग्री सेल्सियस तापमान था और 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा बह रही थी। हवा की इस तेज रफ्तार से कई बार उनका टेंट भी टूटा, लेकिन वह रुके नहीं। लगातार 36 घंटे की यात्रा करके अंटार्कटिक के तट पर पहुंचे और फिर दक्षिणी ध्रुव का सफर शुरू किया। अगले नौ दिनों में 1,000 किलोमीटर (620 मील) की दूरी तय की और दक्षिणी ध्रुव पहुंच गए।
मंजिलें अभी और भी हैं
फ्रेडरिक का यह सफर अभी खत्म नहीं हुआ है। उनका सपना है कि वह हर्कुलस इनलेट नामक स्थान तक का सफर अकेले तय करें। इसके लिए उन्हें 1,130 किलोमीटर का सफर तय करना होगा।
पा चुके हैं कई सम्मान
फ्रेडरिक कई बहादुरी के कारनामे कर चुके हैं। उन्होंने आल्प्स पर्वत में फंसे 9 रूसी पर्यटकों को बचाया था, इसके लिए कनाडा सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया। उन्हें कई देशों में लेक्चर देने के लिए बुलाया जा चुका है।
साभार हिंदुस्तान