कहानी :
योग्यता, क्षमता और रुचि से चुनें आगे
की राह
एक बार जंगल में जानवरों ने सभा बुलाई। चर्चा का विषय
था कि इंसान सभी जानवरों में सर्वोपरि क्यों है? हर क्षेत्र में इंसान आगे बढ़ रहा है। कुछ
देर सोच-विचार और आपसी विमर्श के बाद जानवर एक मत हुए कि हो ना हो इसका कारण ‘स्कूल’ है। इंसान स्कूल जाते हैं और आने वाली पीढ़ी
को ज्ञान और बुद्धि प्रदान करते हैं। सभी जानवरों ने जंगल में स्कूल शुरू करने की
सोची। पाठय़क्रम निर्धारित हुआ। इसमें सभी जानवरों को पांच गतिविधियां सीखनी थीं-
दौड़ना, उड़ना, तैरना, कूदना और ऊपर चढ़ना। जंगल में अच्छे से रहने के लिए सभी जानवरों को ये
सीखना जरूरी था।
सभी जानवर स्कूल जाने के लिए उत्साहित रहते थे। बत्तख
तैराकी में माहिर थी शायद शिक्षक से भी ज्यादा, परन्तु
दौड़ में वह कमजोर थी। दौड़ में अतिरिक्त अभ्यास के लिए उसे स्कूल के बाद ज्यादा
रुकना पड़ता। दौड़ के अभ्यास में उसके विशिष्ट पंजे जख्मी हो गए जिस वजह से तैराकी
में उसका प्रदर्शन औसत रहा। हर किसी को औसत अंक स्वीकार्य थे सिवाए बत्तख के। वह
उदास था। खरगोश दौड़ में अव्वल आता था परन्तु तैराकी सीखने के दबाव में उसे स्कूल
जाना मंजूर ना था। गिलहरी ऊपर चढ़ने में ‘ए प्लस’ ग्रेड लाती थी परन्तु उस पर मानसिक दबाव उड़ने की कक्षा में था। जब शिक्षक
पारंपरिक तरीके से नीचे से ऊपर उड़ान भरने को कहते जबकि वह ऊपर से नीचे उड़ान भरना
चाहती थी। उड़ने का असफल प्रयास करने में उसकी मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो गईं।
गिलहरी को ऊपर चढ़ाई में ‘सी ग्रेड’ और
दौड़ने में ‘डी ग्रेड’ मिला। चील को
ऊंचा उड़ने में महारथ हासिल थी परन्तु उसका ऊपर चढ़ने का तरीका परंपरागत नहीं था।
उसका स्वयं का तरीका था जो शिक्षकों को नागवार था। इस वजह से चील को अनुशासन
तोड़ने के लिए सजा मिलती थी। मामला और गंभीर हो गया जब जेब्रा को उसकी धारियों की
वजह से दूसरे जानवर चिढ़ाते थे। गिलहरी को ज्यादा बातें करने की वजह से शिक्षकों
की नाराजगी ङोलनी पड़ती और सीखने के लिए ज्यादा समय तक रुकना पड़ता। लोमड़ी
प्राकृतिक धावक थी, वह चढ़ने और तैरने में सफल रही लेकिन
उड़ने में असमर्थता उसे कमजोर कर रही थी। वह आक्रामक थी और कई बार दूसरे जानवरों
पर हमला करने की वजह से उसे स्कूल से निलंबित कर दिया गया।
हाथी का आत्मसम्मान तो तभी खत्म हो गया जब उसकी हर
गतिविधि में औसत से कम अंक आए। उसका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। उसे निराशा हुई कि
सामान ढोने और ताकत में इतना सम्मानीय पेशा नहीं था जितना दौड़,
उड़ान या तैराकी में। उसे हीन भावना का शिकार होना पड़ा। दुविधा ये
थी कि कुछ ही जानवर 2 या 3 गतिविधियों
में माहिर थे जिस वजह से उनके मानसिक विकास में मुश्किल आने लगी। वे जिन चीजों में उत्तम थे वे कार्य भी अब अच्छे से नहीं हो पा रहे थे। कई
जानवर स्कूल जाने से कतराने लगे।
कई सीख:
अब अगर हम हमारे बच्चों की बात करें तो क्या हम भी उनसे सभी क्षेत्रों में अव्वल आने की उम्मीद नहीं करते? शिक्षक और अभिभावक हर बच्चे से हर क्षेत्र में कुशलता और निपुणता चाहते हैं। जिस तरह प्रत्येक जानवर किसी एक कौशल में माहिर, किसी अन्य में रुचिकर और किसी एक के प्रति उदासीन था, उसी तरह बच्चे की अपनी कुछ रुचि और कौशल होते हैं। उसे उसी में बढ़ने दिया जाए तो अच्छा है। अक्सर गणित में तेज बच्चे को अंग्रेजी की अतरिक्त कक्षा के कारण गणित की कक्षा बंद करनी पड़ती है ताकि वह अंग्रेजी में अच्छा प्रदर्शन करे। ठीक उसी तरह जिस तरह से बत्तख को तैराकी छोड़कर दौड़ने के अभ्यास में लगाया गया। इस वजह से उसकी तैराकी भी खराब हो गई। यहां यह नहीं कहा जा रहा कि बच्चा केवल एक ही विषय पढ़े। वह सभी विषय पढ़े और सीखे परंतु बिना दबाव , उसकी रुचि और क्षमता दोनों का आकलन कर उसे प्रेरित किया जाए तो सीखने की प्रक्रिया सुखद हो सकती है। हाथी से उड़ने को कहना विचित्र लगता है परंतु किसी बच्चे को चित्रकारी पसंद हो और कला के क्षेत्र में जाना हो तो उसे पारिवारिक पेशे में जाने के लिए दबाव डालना हमें विचित्र नहीं लगता। मेहनत से सफलता मिलना तय है परंतु उसमें अगर बच्चे की रुचि शामिल हो तो उस कार्य में खुशी शामिल होगी और सफलता भी। बच्चे की रुचि अनुसार सभी संभव विकल्प बताएं फिर उनकी क्षमता अनुसार उन्हें रास्ता चुनने में मदद करें। पूरी प्रक्रिया में अभिभावक के तौर पर स्वयं की रुचि और पसंद को अलग रखकर सलाह दें।
अब अगर हम हमारे बच्चों की बात करें तो क्या हम भी उनसे सभी क्षेत्रों में अव्वल आने की उम्मीद नहीं करते? शिक्षक और अभिभावक हर बच्चे से हर क्षेत्र में कुशलता और निपुणता चाहते हैं। जिस तरह प्रत्येक जानवर किसी एक कौशल में माहिर, किसी अन्य में रुचिकर और किसी एक के प्रति उदासीन था, उसी तरह बच्चे की अपनी कुछ रुचि और कौशल होते हैं। उसे उसी में बढ़ने दिया जाए तो अच्छा है। अक्सर गणित में तेज बच्चे को अंग्रेजी की अतरिक्त कक्षा के कारण गणित की कक्षा बंद करनी पड़ती है ताकि वह अंग्रेजी में अच्छा प्रदर्शन करे। ठीक उसी तरह जिस तरह से बत्तख को तैराकी छोड़कर दौड़ने के अभ्यास में लगाया गया। इस वजह से उसकी तैराकी भी खराब हो गई। यहां यह नहीं कहा जा रहा कि बच्चा केवल एक ही विषय पढ़े। वह सभी विषय पढ़े और सीखे परंतु बिना दबाव , उसकी रुचि और क्षमता दोनों का आकलन कर उसे प्रेरित किया जाए तो सीखने की प्रक्रिया सुखद हो सकती है। हाथी से उड़ने को कहना विचित्र लगता है परंतु किसी बच्चे को चित्रकारी पसंद हो और कला के क्षेत्र में जाना हो तो उसे पारिवारिक पेशे में जाने के लिए दबाव डालना हमें विचित्र नहीं लगता। मेहनत से सफलता मिलना तय है परंतु उसमें अगर बच्चे की रुचि शामिल हो तो उस कार्य में खुशी शामिल होगी और सफलता भी। बच्चे की रुचि अनुसार सभी संभव विकल्प बताएं फिर उनकी क्षमता अनुसार उन्हें रास्ता चुनने में मदद करें। पूरी प्रक्रिया में अभिभावक के तौर पर स्वयं की रुचि और पसंद को अलग रखकर सलाह दें।
कोई भी कार्य हम कर सकते हैं या नहीं,
वह संभव है या असंभव, यह ज्यादातर हमारी
क्षमता पर नहीं अपितु हमारे स्वयं में यकीन और आस्था पर निर्भर करता है।
आत्मविश्वास क्षमता से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
‘स्वॉट एनालिसिस’
करें
आज के दौर में अनगिनत विकल्प उपलब्ध हैं जिनको चुनकर विभिन्न क्षेत्रों में से अपनी पसंद के मुताबिक कार्य कर सफलता अजिर्त की जा सकती है। इसके लिए ‘स्वॉट एनालिसिस’ (SWOT Analysis) करें। ताकत (Strength), कमजोरियों (Weakness), अवसर (oppurtinties) और डर (threat) के बारे में आंकलन करें। फिर चुनाव आसान हो जाएगा।
आज के दौर में अनगिनत विकल्प उपलब्ध हैं जिनको चुनकर विभिन्न क्षेत्रों में से अपनी पसंद के मुताबिक कार्य कर सफलता अजिर्त की जा सकती है। इसके लिए ‘स्वॉट एनालिसिस’ (SWOT Analysis) करें। ताकत (Strength), कमजोरियों (Weakness), अवसर (oppurtinties) और डर (threat) के बारे में आंकलन करें। फिर चुनाव आसान हो जाएगा।
समस्या:
1. वह आपके बताए विषय/ क्षेत्र में नहीं जाना चाहते और निर्णय लेने में समय लगाते हैं।
2. वे बार-बार निर्णय बदलते हैं। दुविधा की स्थिति में कमजोर हो जाते हैं।
1. वह आपके बताए विषय/ क्षेत्र में नहीं जाना चाहते और निर्णय लेने में समय लगाते हैं।
2. वे बार-बार निर्णय बदलते हैं। दुविधा की स्थिति में कमजोर हो जाते हैं।
समाधान:
1. केवल अपनी महत्वाकांक्षा के कारण बच्चे की क्षमता और रुचि के विपरीत दबाव ना डालें। जीवन उसका है तो उसकी खुशी और सहजता का ख्याल रखते हुए आगे के रास्ते दिखाएं।
1. केवल अपनी महत्वाकांक्षा के कारण बच्चे की क्षमता और रुचि के विपरीत दबाव ना डालें। जीवन उसका है तो उसकी खुशी और सहजता का ख्याल रखते हुए आगे के रास्ते दिखाएं।
2. उन्हें समझाएं कि दुविधा और असमंजस
स्वाभाविक है। आप भी इस स्थिति से गुजरे हैं। उन्हें किसी भी हाल में ताने ना दें
और ऐसा प्रतीत ना होने दें कि आप उनके खिलाफ हैं या नाराज हैं।