Friday, January 17, 2014


 सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन छात्रों एवं शिक्षकों की भिन्न-भिन्न समस्याओं के निदान एवं सुधार में सहायता प्रदान करता है। यह प्रक्रिया शिक्षक एवं विद्यार्थी के मध्य दूरी को कम करके प्रभावी तरीके से लागू की जा सकती है। इसकी सफलता प्रभावी योजना पर निर्भर करती है।
सतत एवं व्यापक मूल्यांकन की सफलता प्रभावी योजना पर निर्भर करती है। यह योजना विद्यार्थी के विभिन्न पक्षों से सम्बन्धित होनी चाहिए। मूल्यांकन में विश्वसनीयता का होना आवश्यक है। शिक्षा में संकट इस बात का है कि पूर्व की अपेक्षा वर्तमान शैक्षिक व्यवस्था में मूल्यांकन की विश्वसनीयता कम हुई है। मूल्यांकन की प्रक्रिया में छात्र की वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन केवल एकल व्यवहार के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए बल्कि छात्र के संयुक्त व्यवहार को मूल्यांकन का आधार बनाया जाना सर्वथा उचित होगा। पाठय़क्रम के आधार पर विद्यार्थी का मूल्यांकन किये जाने से विश्वसनीयता का संकट उत्पन्न हुआ है। मू्ल्यांकन शिक्षा के उद्देश्य के आधार पर किया जाना चाहिए। विद्यार्थी के व्यवहारगत समग्र विशेषताओं के मूल्यांकन की प्रक्रिया भिन्न-भिन्न होती है जबकि प्राय: मूल्यांकन में किसी एक प्रक्रिया का ही प्रयोग किया जाता है। सतत एवं व्यापक मूल्यांकन की प्रक्रिया व्यवहारगत उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए अपनायी जानी चाहिए। इसका सबसे अच्छी तकनीकी एवं उपकरण निरीक्षण होता है। नीरस शैक्षिक वातावरण को दूर करने एवं शैक्षिक क्रियाकलापों में गतिशीलता लाने की दृष्टि से सतत एवं व्यापक मूल्यांकन की प्रक्रिया अत्यन्त प्रभावी हो सकती है।

     

prathamik shikshak

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