शैक्षिक व्यवस्था में शिक्षक की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
मूल्यांकन की प्रक्रिया में बाहरी की अपेक्षा आंतरिक मूल्यांकन को अधिक महत्व दिया
जाना चाहिए। किसी भी विद्यार्थी की विशेषताओं के साथ-साथ उसकी कमियों और
दुर्बलताओं का भी मूल्यांकन शिक्षा में सुधार और परिवर्तन की दृष्टि से आवश्यक है।