Thursday, January 16, 2014

मूल्यों के अभाव में मानव जीवन की कल्पना नहीं हो सकती। मूल्यों के संबर्धन एवं विकास में सतत् एव् व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया सहायक हो सकती है। मूल्य, परिस्थति एवं व्यक्ति के संदर्भ में परिवर्तित होते रहते हैं इसका विकास अत्यन्त धीमी गति से होता रहता है। वैश्विक प्रभाव के कारण मूल्यों का विघटन हो रहा है जो चिंता का विषय है। आर्थिक मूल्यों के बढ़ते प्रभाव् के कारण अन्य उपयोगी मूल्य महत्वहीन हो रहे है।

     

prathamik shikshak

pathak diary