Saturday, January 18, 2014


बच्चे ही नहीं, पेरेंट्स की काउंसलिंग भी जरूरी

 एक मैनेजमेंट कॉलेज में कॅरिअर काउंसलिंग के दौरान युवाओं से बातचीत में पता चला कि एक युवक का पैशन सिंगिंग है लेकिन उसके पिता का मानना है कि गाना कॅरिअर में रुकावट है।

युवक को मंच पर बुलाया और उसे गाने को कहा गया। उसने अपने जोरदार गीतों से सभी को रोमांचित कर दिया। बाद में वह आया और रोने लगा, अपना पैशन पूरा न कर पाने को लेकर उसमें कुंठा थी।

पिता से बात की गई और उनके बच्‍चे की रुचि व महत्व को उन्हें समझाना पड़ा।यह घटना सुनाते हुए इंस्टीट्यूट ऑफ कॅरिअर काउंसलिंग की एमडी व संस्थापक निदेशक डॉ. अमृता दास ने कहा कि बच्चे नहीं, बल्कि कॅरिअर काउंसलिंग की जरूरत अभिभावकों को है। 

शुक्रवार को इंस्टीट्यूट ऑफ कॅरिअर काउंसलिंग (आईसीएस) ने कॉन्क्लेव का आयोजन किया, जिसमें लखनऊ, पुणे, अजमेर, दिल्ली, देहरादून, ग्वालियर समेत कई राज्यों के स्कूलों के कॅरिअर काउंसलर जुटे और अपने-अपने क्षेत्र में सामने आए अध्ययन, विभिन्न क्षेत्रों व विषयों में कॅरिअर से जुड़े विकल्पों को सामने रखा।

यह आयोजन दो साल में एक बार होता है। कॉन्क्लेव का शुभारंभ 9.9 मीडियावर्क्स प्रा. लि. व अशोक यूनिवर्सिटी के संस्थापक डॉ. प्रमथ राज सिन्हा ने बतौर मुख्य अतिथि किया।

डॉ. अमृता दास ने बदलते परिवेश में शिक्षा और कॅरिअर विषय पर बात रखी। बताया कि आईसीएस ने आठ से 12वीं के बीच के बच्चों का सर्वे कराया, जिसमें पढ़ाने के तरीके आंके गए।

बच्चों ने बताया कि उन्हें उस टीचर का पढ़ाना बेहतर लगता है, जिससे वे अपनी बात बेझिझक कह सकें। वहीं, अनुभवों पर आधारित पढ़ाई को उन्होंने सबसे बेहतर बताया, जिसमें ऑडियो-विजुअल विकल्प, एजुकेशनल टूर और ग्रुप एक्टिविटीज शामिल थीं।

चॉक और ब्लैक बोर्ड से कराई जाने वाली पढ़ाई को सभी ने आखिरी पायदान पर रखा। कॉन्क्लेव में कैलेंडर भी लॉन्च किया गया, जिसमें देश भर के विद्यार्थियों की पेंटिंग्स सजाई गई हैं।

साभार अमर उजाला, लखनऊ

 

prathamik shikshak

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