Wednesday, February 11, 2015

पृथ्वी के भीतर हो सकते हैं महासागर

पृथ्वी के भीतर हो सकते हैं महासागर

एक हीरे के अंदर पाई गई रहस्यपूर्ण चट्टान ने इस सवाल को अहम बनाया कि पृथ्वी की सतह के नीचे क्या-क्या छिपा है। इस रहस्यपूर्ण चट्टान में पानी के कण मिलना महत्वपूर्ण खोज थी। ये चट्टानें हमें बताती हैं कि पृथ्वी के भीतर, सतह के 500-600 किमी नीचे सदियों पहले क्या हुआ, और वहां क्या मौजूद है।


सवालों के घेरे में दशकों से रहे वैज्ञानिक

वैज्ञानिक दशकों से इन सवालों से जूझ रहे हैं कि पृथ्वी पर पानी कैसे आया, महासागर कैसे बनें और क्या पृथ्वी की सतह के नीचे और महासागर छिपे हुए हैं? अब तक मनुष्य ने पृथ्वी की सतह के नीचे जो सबसे गहरा गड्ढ़ा बनाया है वो 10 किमी तक ही पहुंच पाया है। हम जिस ग्रह पर रहते हैं, उसके बारे में शायद उतना नहीं जानते जितना हम लाखों किमी दूर मंगल गृह की सतह के बारे में जानते हैं।

आंतरिक क्रोड के रहस्य : 

पृथ्वी की आंतरिक संरचना तीन प्रमुख परतों से हुई है। ऊपरी सतह भूपर्पटी यानी क्रस्ट, मध्य स्तर मैंटल और आंतरिक और बाहरी स्तर-क्रोड। इनमें से बाहरी क्रोड तरल अवस्था में है। यह आंतरिक क्रोड के साथ क्रिया कर पृथ्वी में चुंबकीय क्षेत्र पैदा करता है। ऐसा अनुमान है कि महासागरों के नीचे की परत लगभग पांच किमी मोटी हो सकती है। लेकिन यह छोटी सी परत कई प्रकाश वर्षो के समान भी हो सकती है, क्योंकि इसके बारे में हमारा ज्ञान बहुत कम है। दशकों से वैज्ञानिकों का मानना था कि पृथ्वी की सतह पर धूमकेतुओं के टकराने से पानी पैदा हुआ होगा या महासागरों का निर्माण हुआ होगा।

रिंगवुडाइट पृथ्वी के आवरण में मौजूद चट्टानों का महासागरों के निर्माण में योगदान का संकेत मिलता है

रहस्यमयी चट्टानों से जो मैग्नीशियम युक्त सिलिकेट है उसे रिंगवुडाइट कहते हैं। दरअसल इन रहस्यमयी चट्टानों में पानी के अंश पाए गए, जितना हम अनुमान लगाते थे, उससे लगभग 10 गुना। पृथ्वी की सतह से सैकड़ों किमी अंदर बने रिंगवुडाइट को प्रयोगशाला में बनाने की कोशिश की गई। उन खनिज पदार्थो का इस्तेमाल किया गया जो रिंगवुडाइट में पाए जाते हैं लेकिन पानी के इस्तेमाल के बिना इस चट्टान का निर्माण नहीं हो पाया। पानी के इस्तेमाल के साथ ये संभव था। रिंगवुडाइट में काफी मात्रा में पानी पाया जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि महासागरों और पृथ्वी की सतह के नीचे की चट्टानों यानी मैंटल या मध्य स्तर के भीतर भी महासागर मिल सकते हैं। ऐसा अनुमान है कि महासागरों के नीचे की परत लगभग पांच किमी मोटी हो सकती है, लेकिन यह छोटी सी परत कई प्रकाश वर्षो के समान भी हो सकती है

साभार  राष्ट्रीयसहारा 

prathamik shikshak

pathak diary