बोल मेरी मछली लाइट कहां से आई
तुमने बच्चों की एक कविता तो जरूर सुनी होगी। ‘भरा समुंदर, गोपीचंदर, बोल
मेरी मछली कितना पानी?...’। पर
अगर समुंदर में चारों तरफ अंधेरा हो, तो
भला मछली कैसे बता पाएगी कुछ भी? पर
शायद तुम्हें पता नहीं। मछलियां और समुद्री जीव-जंतु बड़े स्मार्ट होते हैं।
इसीलिए अगर चारों तरफ अंधेरा हो, तो वो खुद ही लाइटिंग का
इंतजाम कर लेते हैं। यकीन नहीं आया ना? पर यह सच है। समुद्र
की गहराई में रहने वाले असंख्य जीव कैसे रहते होंगे, जहां न
तो सूरज का प्रकाश होता है और न ही लाइट। फिर भी वहां जीवन थमता नहीं, पूरी रात अपना सफर तय करता रहता है। समुद्र की गहराई में चमकने वाले ये
जीव केवल अंधेरे से निपटने के लिए ही लाइट नहीं बनाते, बल्कि
इसके सहारे दूसरे कई काम भी निकालते हैं। इनमें अपने साथी को आकर्षित करना,
दूसरे जीवों के साथ संपर्क बनाए रखना, अपने
शिकार को लुभा कर अपने जाल में फंसाना, अपने बचाव के लिए
शिकारी की आंखों में धूल झोंकने जैसे काम शामिल हैं।
गहरे समुद्र में रहने वाले ऐसे 90 प्रतिशत प्राणी होते हैं। इन जीवों के शरीर में फोटोफोर्स, लूसीफरीन, लूसीफरेस जैसे एंजाइम होते हैं। ये एंजाइम समुद्र के नमकीन पानी और ऑक्सीजन के साथ मिलकर रासायनिक प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे लाइट बनती है। ये जीव अपने शरीर के विभिन्न अंगों की मदद से कभी लगातार, तो कभी रुक-रुक कर लाइट बनाते हैं। इनके अंगों से बनने वाली लाल, हरे, नीले और पीले रंग की यह लाइट दूर से स्लाइड-शो की तरह लगती है, जो जादू की तरह अंधेरे सागर को जगमगा देती है।
फोरा या स्टेनोकंघी जेली: ये शिकारी से अपने बचाव के लिए अपने अंगों से नीले या हरे रंग की लाइट बनाती हैं। स्टेनोफोरा लाइट को तितर-बितर कर अपने शिकारियों को आसानी से भ्रमित कर देती हैं। यह लाइट अंधेरे में एक जाल की तरह फैल जाती है, जो इंद्रधनुष का आभास कराती है।
क्रिल: ये बहुत छोटे पारदर्शी जीव हैं। इनका बाहरी खोल काफी सख्त होता है, जो लाइट बनने से अंधेरे में चमकता है। इससे ये अपने साथी को आकर्षित करते हैं और शिकारी से अपना बचाव करते हैं। छोटे होने की वजह से शिकारियों से अपनी सुरक्षा करने के लिए ग्रुप में रहते हैं। ग्रुप भी काफी बड़ा बनाते हैं। अपनी लाइट से एक-दूसरे को संकेत भी देते रहते हैं। इससे उनके शिकारी धोखे में पड़कर उन्हें छोड़ भी देते हैं।
हवाई बॉबटेल स्किड: ये हवाई और प्रशांत महासागर में मिलते हैं। ये दूसरे शिकारियों का शिकार होने से बचने के लिए छलावरण के तौर पर लाइट बनाते हैं। इनकी सबसे बड़ी विशेषता होती है कि ये लाइट को कंट्रोल भी कर सकते हैं कि वह किस दिशा में जाएगी।
क्लस्टरविंक घोंघा: इनके शरीर पर लगा खोल अपारदर्शी होता है। लेकिन इनके पूरे शरीर में लाइट बनती रहती है, जिससे खोल अंधेरे में चमकता है। वैसे तो यह खोल मोटा और पीले-से रंग का होता है, लेकिन लाइट के रिफ्लेक्शन से यह अंधेरे में हरे रंग में चमकता है। इससे घोंघा शिकारियों से अपना बचाव कर लेता है।
कुकी कटर शार्क: अटलांटिक और प्रशांत महासागर में पाई जाती है। शार्क अपने शिकार को लुभाने के लिए अपनी स्किन के कवर के नीचे से हरे रंग की लाइट बनाती है।
साभार हिंदुस्तान