Saturday, January 3, 2015

कविता

काश कि होतीं प्यारी टीचर
हमें पढ़ातीं ए, बी, सी...
हाथ में डंडा, नाक पे गुस्सा
ऐसी टीचर क्यों हैं जी?
घर से रटकर पाठ सबेरे
रोज पहुंचते हम स्कूल,
पर टीचर का देख के डंडा
जाते हैं हम सब कुछ भूल।
हम हैं नन्हे-मुन्ने बच्चे
मन के सीधे-सादे सच्चे,
प्यार से पाठ पढ़ाओ जिसको
जीवन भर न पाएं भूल।
आप रहेंगी प्यारी टीचर
और लगे प्यारा स्कूल।

स्मृति जायसवाल
उम्र- 10 वर्ष
कक्षा- 5
सम्राट नगर, गोरा बाजार,
रायबरेली, उ.प्र.




prathamik shikshak

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