Saturday, October 4, 2014

प्राकृतिक लाइट-साउंड शो है औरोरा

  ध्रुवीय क्षेत्रों के आसमान में अचानक ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने आकर्षक रंगों वाला इंद्रधनुष फैला दिया हो। बेहद चमकदार रंग और पटाखों जैसी आवाज वाले इस नेचर के शो को औरोरा के नाम से जाना जाता है।
बरसात के मौसम में आसमान में अपने सतरंगी इंद्रधनुष तो जरूर देखा होगा। इंद्रधनुष तो काफी हल्की लकीरों वाला और बहुत थोड़े समय के लिए होता है, लेकिन सोचे , अगर इंद्रधनुष से भी बेहतर रंगों और रोशनी की छटा देखने को मिल जाए तो कितना अद्भुत होगा वो नजारा। अब आप सोच रहे होगे कि ऐसा भला कैसे हो सकता है? तो हम आपको बताते हैं। ऐसा नजारा धरती के कई भागों में देखा जा सकता है। इस इंद्रधनुषी छटा को औरोरा के नाम से जाना जाता है।
क्या है औरोरा
सबसे पहले यह जान ले कि आखिर औरोरा है क्या? दरअसल औरोरा इंद्रधनुष की तरह ही एक प्राकृतिक घटना है। इंद्रधनुष की तरह ही इसमें भी रंगों का सराबोर होता है, लेकिन इंद्रधनुष की अपेक्षा इसके रंग काफी अधिक आकर्षक होते हैं। साथ ही इससे निकलने वाली रोशनी तो इसे अद्भुत बनाने का काम करती है। इंद्रधनुष तो दिन के समय ही बनता है, लेकिन औरोरा केवल रात के समय ही दिखाई देता है। अंधेरी रात में आसमान में रोशनी और रंगों का अद्भुत मिलन देख कर ऐसा प्रतीत होता है, मानो जन्नत जमीं पर उतर आई हो। औरोरा को ज्यादातर ध्रुवीय प्रदेशों में ही देखा जा सकता है।
कैसे बनता है 
पृथ्वी से 100 से 200 किलोमीटर ऊपर औरोरा बनता है। औरोरा वायुमंडल के भीतर बने गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में चार्ज्ड पार्टिकल्स की मौजूदगी से बनता है। औरोरा बनने में पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र, वायुमंडल और सौर-पवन का प्रमुख योगदान होता है। इन्हीं तीनों के बीच होने वाली वैज्ञानिक प्रक्रिया के फलस्वरूप धरती के ध्रुवीय प्रदेश में रोशनी और रंगों के संगम से बनने वाला औरोरा उत्पन्न होता है। सामान्य तौर पर शीत ऋतु में अक्सर रात के समय में नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड, उत्तरी कनाडा, अलास्का और रूस के उत्तरी भाग में यह आसानी से देखा जा सकता है। अन्य मौसम में भी यह यदा-कदा देखने को मिल जाता है। वायुमंडल में मौजूद अलग-अलग गैस और सौर हवाओं में होने वाली प्रतिक्रया के फलस्वरूप अलग-अलग रंगों और रोशनी का निर्माण होता है।
अन्य ग्रहों पर भी होता है औरोरा
धरती के अलावा वृहस्पति, शनि जैसे ग्रहों पर भी औरोरा का प्रकाश दिखाई देता है। लेकिन उन ग्रहों पर भी औरोरा बनने की प्रक्रिया ध्रुवीय प्रदेशों में ही घटित होता है। धरती पर बनने वाले औरोरा के आकार में समय-समय पर बदलाव आते रहते हैं, लेकिन वृहस्पति के औरोरा का आकार एक समान बना रहता है। शनि ग्रह पर बनने वाले औरोरा आकार में अचानक बदलते रहते हैं।
साउंड इफेक्ट भी... 
जिस तरह लाइट एंड साउंड शो में तरह-तरह की आवाजें होती हैं, बिल्कुल उसी तरह औरोरा से भी कई तरह की आवाजें निकलती रहती हैं। औरोरा उत्पन्न होने पर तालियों की आवाज और पटाखों जैसी आवाज सुनाई देती है। मनमोहक रंग और आकर्षक प्रकाश के साथ बेहतरीन आवाज एक साथ मिलकर बेहद अद्भुत अनुभव कराते हैं। इसे देखने वाले अक्सर हैरान रह जाते हैं।
सूर्योदयसे बना औरोरा
औरोरा शब्द लेटिन का है, जिसका अर्थ होता है सूर्योदय। कहा जाता है कि प्राचीन रोमवासियों और यूनानियों को इन घटनाओं का पता था। उन्होंने कई जगह इस तरह की रोशनियों का जिक्र किया है। आमतौर पर ध्रुवीय क्षेत्रों में बनने वाले औरोरा लाल, हरे, पीले, गुलाबी और नीले रंग में बनते हैं। जहां तक इनके साथ होने वाली आवाज की बात है तो वैज्ञानिकों का कहना है कि ये धरती से इतने ऊपर बनते हैं कि नीचे खड़े रहकर आवाज सुन पाना लगभग असंभव सा है। लेकिन आल्टो यूनिवर्सिटी के विज्ञानी ये साबित कर चुके हैं कि आवाजें आती हैं।
 प्रसन्न प्रांजल
 साभार हिंदुस्तान


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