Wednesday, January 15, 2014

अनोखा ऊंट है लामा
आप ऐसे कई जानवरों के बारे में जानते होगे, जो शिकारियों से अपने बचाव के लिए या तो डट कर मुकाबला करते हैं या फिर अपना रूप बदल कर धोखा देते हैं। हम दक्षिण अमेरिका के एंडीज वन क्षेत्रों और मैदानी इलाको में पाए जाने वाले लामा के बारे में बता रहे हैं, जो खतरे से बचने के लिए सुरक्षा हथियार के रूप में अपने थूक का इस्तेमाल करता है।
यह ऊंट जैसा दिखने वाला जानवर इसलिए खास है, क्योंकि यह हमलावर से बचने के लिए अपना बदबूदार थूक का एक फव्वारा दूसरों के ऊपर फेंक देता है, जिसे बर्दाश्त न कर पाने के कारण हमलावर भाग जाते हैं।
ऊंट की ही प्रजाति है...
यह लामा वास्तव में ऊंट की एक प्रजाति है। ऊंट का नाम आते ही तुम्हारे जेहन में एक या दो कूबड़ वाले रेगिस्तान के जहाज यानी ऊंट की छवि उभर आती होगी। लेकिन ये लामा उनसे थोड़ा अलग हैं। ऊंट की तरह लामा का कोई कूबड़ नहीं होता। आकार में भी ये ऊंट से छोटे होते हैं, लेकिन इनकी गर्दन काफी लंबी होती है। लामा के लंबे और घुमावदार केले के आकार के कान भी उसे ऊंटों से अलग करते हैं। अपने पैर की मोटी त्वचा से ये टेढ़े-मेढ़े चट्टानी या पहाड़ी इलाकों पर आसानी से चढ़ जाते हैं। उनके खून में हीमोग्लोबिन बड़ी मात्रा में पाया जाता है, जिसके कारण वे ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में भी आसानी से सांस ले पाते हैं।
कहां मिलते हैं...
छोटी कद-काठी के बिना कूबड़ वाले लामा दक्षिण अमेरिका के रेडियन क्षेत्र, बोलीविया, पेरू, चिली, इक्वाडोर तथा एंडीज पर्वत और घास के मैदानों में मिलते हैं। ये लामा तीन तरह के होते हैं- ग्वानको, विक्यूना और अल्पका। ग्वानको दक्षिणी अफ्रीका के दक्षिणी मैदानों में मिलते हैं। अल्पका लामा की पालतू जाति है। बोझा ढोने के साथ-साथ इसके फर रेशम बनाने के काम आते हैं। लामा की विक्यूना जाति एंडीज पर्वत पर काफी ऊंचाई पर पाई जाती है। वहां के निवासी इसे राजसी लामा मानते हैं। बोलीविया में तो लामा को नेशनल एनिमल का दर्जा दिया गया है।
जीवन-चक्र
लामा स्तनधारी जानवर है। आमतौर पर ये 25-30 साल तक जिंदा रहते हैं। एक वयस्क लामा 5.5-6 फीट (1.6- 1.8 मीटर) लंबा और वजन 280-450 पौंड (127- 204 कि.ग्रा.) होता है, जबकि जन्म के समय लामा के बच्चे का वजन 20-30 पौंड (9-14 किग्रा) होता है। नवजात लामा पैदा होने के लगभग एक घंटे बाद चलने लगता है। लामा अपने बच्चों को करीब चार महीने तक पालते हैं।
व्यवहार
लामा सामाजिक, मिलनसार और शांत जानवर है। ये पहाड़ों और जंगलों में 15-20 के झुंड या ग्रुप बनाकर रहते हैं। लामा आपस में बात भी करते हैं। गरारे (गार्गलिंग) करते हुए जैसी आवाज आती है, उसी तरह लामा आवाज निकालते हैं। झुंड में ये म्वा-म्वाकी आवाज में अलार्म कॉल करते हैं। इसके अलावा जब उन्हें किसी दूसरे लामा या अपने बच्चे को बुलाना हो, मादा लामा का ध्यान अपनी ओर खींचना हो या फिर खतरे की सूचना देनी हो, तब ये तेज आवाज में अलार्म कॉल करते हैं। लामा शाकाहारी जानवर है। ये पहाड़ों पर मिलने वाली वनस्पति, झाडियां, लाइकेन घास खाते हैं। ये करीब 2-3 गैलन पानी एक बार में पी सकते हैं और पानी न मिलने पर कई दिनों तक रह सकते हैं। ये अपना खाना पचाने के लिए हमेशा जुगाली करते रहते हैं, जिससे उनके मुंह में लार या थूक बना रहता है। इससे इन्हें प्यास भी कम लगती है और थूक को जंगली हमलावरों के ऊपर
फेंक कर उसे भगा देते हैं।


prathamik shikshak

pathak diary