Sunday, January 12, 2014

सच्चा शासक
पंचतंत्र से
कंचन वन में शेरसिंह का राज समाप्त हो चुका था। पर वहां बिना राजा के स्थिति ऐसी हो गई थी जैसे जंगलराज हो। जिसकी जो मर्जी, वह कर रहा था। वन में अशांति, मारकाट, गंदगी इतनी फैल गई थी कि वहां जानवरों का रहना मुश्किल हो गया। कुछ जानवर शेरसिंह को याद कर रहे थे कि जब तक शेरसिंह ने राजपाट संभाला हुआ था, सारे वन में कितनी शांति और एकता थी। ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन यह वन ही समाप्त हो जाएगा और हम सब जानवर बेघर होकर मारे जाएंगे। गोलू भालू बोला, ‘कोई न कोई उपाय तो करना ही होगा। क्यों न सभी कहीं सहमति से हम अपना कोई राजा चुन लें जो शेरसिंह की तरह हमें पुन: एक जंजीर में बांधे और वन में एक बार फिर से अमन शांति के स्वर गूंज उठे।सभी गोलू भालू की बात से संतुष्ट हो गए पर समस्या यह थी कि राजा किसे बनाया जाए? सभी जानवर स्वयं को दूसरे से बड़ा बता रहे थे। सोनी मोर बोली, ‘क्यों न एक पखवाड़े तक सभी को कुछ न कुछ काम दे दिया जाए। जो अपने काम को सबसे अच्छे ढंग से करेगा, उसे ही यहां का राजा बना दिया जाएगा।सोनी की बात से सब सहमत हो गए और फिर सभी जानवरों को उनकी योग्यता के आधार पर काम दे दिया गया। बिम्पी लोमड़ी को मिट्टी हटाने का काम दिया गया तो भोलू बंदर को पेड़ों पर लगे जाले हटाने का। सोनू हाथी को पत्थर उठाकर एक गड्ढे में डालने का काम सौंपा गया था और मोनू खरगोश को घास की सफाई का। जब एक पखवाड़ा बीत गया तो सभी जानवर अपने-अपने कायरे का ब्यौरा लेकर एक मैदान में एकत्रित हो गए। सभी जानवरों ने अपना काम बड़ी सफाई और मेहनत से पूरा किया था। सिर्फ सोनू हाथी था जिसने एक भी पत्थर गड्ढे में नहीं डाला था। अब एक समस्या फिर खड़ी हो गई कि आखिर किसके काम को सबसे अच्छा माना जाए। बुद्धिमान मोनू खरगोश ने युक्ति सुझाई, ‘क्यों न मतदान करा लिया जाए, जिसे सबसे ज्यादा मत मिलेंगे उसे ही हम राजा चुन लेंगे।अगले दिन सुबह- सुबह चुनाव रख लिया गया और एक बड़े मैदान में सभी पशु- पक्षी मत देने के लिए उपस्थित हो गए। मतदान समाप्त होने के एक घंटे पश्चात मतों को गिनने का काम शुरू हुआ। यह क्या!
सोनू हाथी गिनती में सबसे आगे चल रहा था और जब मतों की गिनती समाप्त हुई तो सोनू हाथी सबसे ज्यादा मतों से विजयी हो गया। सभी जानवर एक दूसरे का मुंह ताक रहे थे। तभी पक्षीराज गरुड़ वहां उपस्थित हुए और उपस्थित सभी जानवरों को संबोधित करते हुए बोले, ‘सोनू हाथी प्रतिदिन पत्थर ले कर गड्ढे तक जाता था किंतु जब उसने देखा कि उस गड्ढे में मेरे अंडे रखे हुए हैं तो वह पत्थरों को उसमें न डालकर पास ही जमीन पर एकत्रित करता रहा। सोनू ने अपने राजा बनने के लालच को छोड़ एक जीव को बचाना ज्यादा उपयोगी समझा। उसकी इस परोपकार की भावना को देखकर हम पक्षियों ने तय किया कि जो अपनी लालच को छोड़कर दूसरों के सुख-दु:ख का ध्यान रखे वही सच्चे तौर पर शासक बनने का अधिकारी है। और चूंकि वन में पक्षियों की संख्या पशुओं से अधिक थी इसलिए सोनू हाथी चुनाव जीत गया।
सीख- सच्चा शासक वही होता है जो परोपकार की भावना को सर्वोच्च स्थान दे।


prathamik shikshak

pathak diary