दक्षिण ध्रुव
की दुनिया
दोस्तो
इन दिनों बेशक ठंड तुम्हें सता रही होगी। पर जरा सोचो, यूरोप और अमेरिका के उन इलाकों का क्या हाल होगा, जहां
आये दिन बर्फीले तूफान आते हैं। इतना ही नहीं, दक्षिणी ध्रुव
एक ऐसी जगह है, जहां पूरे साल बर्फ जमी रहती है। हाल ही में
अंटार्कटिका को दुनिया की सबसे ठंडी जगह के रूप में दर्ज किया गया है..
बर्फ का रेगिस्तान
-दक्षिणी ध्रुव (साउथ पोल) पृथ्वी के सुदूर दक्षिणी
हिस्से में स्थित है। यह स्थान अंटार्कटिका महाद्वीप में है।
-9 हजार फीट से भी अधिक बर्फ की मोटी चादर यहां सालों
भर बिछी रहती है। यही कारण है कि यहां उत्तरी ध्रुव (पृथ्वी के सुदूर उत्तर में)
की अपेक्षा कई गुना ज्यादा ठंड पड़ती है।
-(-89.2) डिग्री होता है यहां का न्यूनतम औसत तापमान।
-यहां छह महीने का दिन और छह महीने की रात होती है।
यहां वर्ष में एक बार सितंबर में सूर्योदय होता है, तो मार्च
में सूर्यास्त।
-दक्षिणी ध्रुव का 2 प्रतिशत भाग
चत्रनों और 90 प्रतिशत भाग बर्फ से बना है। चत्रनों पर काई
(मॉस) और लाइकेन पाए जाते हैं। पेंगुइन यहां पाया जाने वाला प्रमुख जीव हैं।
पहला कदम
-102 साल पहले 14 दिसंबर,
1911 को नार्वे के रोएल्ड एमुंडसन ने दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखा था।
-इसके बाद जनवरी 1912 में
ब्रिटेन के खोजी रॉबर्ट फाल्कन स्कॉट यहां पहुंचे तो, लेकिन
बेहद खराब मौसम, भूख और विकसित कपड़े न होने के कारण लौटते
समय रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।
-1928 में अमेरिकी नौसेनाध्यक्ष रिचर्ड एवलिन बायर्ड
ने साउथ पोल की यात्रा हवाई जहाज से की।
रिसर्च स्टेशन
-दक्षिणी ध्रुव पर रिसर्च करने के लिए 1956-57 में अमेरिका ने सबसे पहला रिसर्च स्टेशन एमुंडसन-स्कॉट साउथ पोल स्टेशन की
स्थापना की।
-30 देश (अक्टूबर 2006 तक) यहां
रिसर्च स्टेशन स्थापित कर चुके हैं।
भारतीय पहल
-एनएसएओआर (नेशनल सेंटर फॉर अंटार्कटिक ऐंड ओशन
रिसर्च) (भू-विज्ञान मंत्रालय) के तहत भारत अंटार्कटिका आधारित अपना रिसर्च वर्क
करता है। हर साल नवंबर-दिसंबर के महीने में भारत दक्षिणी ध्रुव के लिए अपना मिशन
भेजता है।
-1983 में यहां पहले भारतीय रिसर्च बेस दक्षिण
गंगोत्री की स्थापना हुई। दक्षिणी ध्रुव की स्थिति बदलते रहने के कारण यह अब बर्फ
के अंदर समा गया है।
-1989 में दूसरा रिसर्च स्टेशन मैत्री स्थापित किया
गया।
-2012 में भारत का तीसरा रिसर्च स्टेशन भारती स्थापित
हुआ।