Saturday, December 21, 2013


नेशनल मैथमेटिक्स डे पर विशेष

 Fri, 20 Dec 2013 11:25 AM (IST)
स्मिता

रचित अपने स्कूल में 12वीं क्लास का टॉपर है। उसने मैथ्स में 100 में 100 मा‌र्क्स स्कोर किया है। आज मैथ्स उसका सबसे पसंदीदा सब्जेक्ट है। हालांकि पहले ऐसा नहीं था। 9वीं क्लास तक उसे मैथ्स बेहद उबाऊ लगती थी। मैथ्स टीचर की सलाह पर उसने रोज मैथ्स क्लास अटेंड करना शुरू किया। इसका फायदा यह हुआ कि उसके कई मैथेमेटिकल कॉन्सेप्ट क्लियर हो गए। उसे जब भी समय मिलता, सोशल नेटवर्किग साइट्स पर अपने टीचर्स, सीनियर्स और दोस्तों से कठिन सवालों पर खूब डिस्कस करता। इनके आधार पर उसने इंपॉर्टेट इक्वेशंस, फॉर्मूला, टेबल्स, सिंबल्स याद करने के कई रोचक ट्रिक्स ईजाद कर लीं और उन्हें अपनाया। इसका नतीजा यह रहा कि बोर्ड एग्जाम में वह मैथ्स में पूरे स्कूल में टॉप पोजीशन पर रहा। अगर तुम भी रचित की तरह कुछ रोचक ट्रिक्स अपनाओ, तो तुम्हें भी मैथ्स के मुश्किल सवाल हल करना काफी रोचक और आसान लगेगा।

नमिता भी अक्सर मैथ्स क्लास बंक कर देती। यूनिट टेस्ट में उसे इस बार जीरो मिला। उसे मैथ्स बुक हॉरर बुक की तरह लगतीं। दोस्तो, मैथ्स के सभी टॉपिक्स और चैप्टर्स इंटरलिंक्ड होते हैं। अगर एक क्लास भी मिस हो जाए, तो इसके बाद वाली क्लास बोरिंग लगने लगती है। इसलिए इस सब्जेक्ट की हर क्लास इंपॉर्टेट होती है। वैसे, यह बहुत आसान सब्जेक्ट है, बशर्ते खूब प्रैक्टिस की जाए। अगर टेक्स्ट बुक के अलावा, इससे संबंधित 1-2 किताबों से भी बिना नागा किए प्रैक्टिस की जाए, तो यह कभी-भी बहुत भारी नहीं लगेगा।

बनें हाू्रमन कैलकुलेटर

हाू्रमन कैलकुलेटर के रूप में विश्वविख्यात शकुंतला देवी (4 नवंबर 1929-21 अप्रैल 2013) कई डिजिट के नंबर्स को कुछ सेकंड्स में ही मल्टीप्लाइ या डिवाइड कर देती थीं। कम समय में कैलकुलेट करने के कमाल के लिए उन्हें गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकॉ‌र्ड्स में भी शामिल किया गया। वे कहती थीं कि भले ही लोग मुझे मेंटल कैलकुलेटर का खिताब दें, लेकिन असल में मैं कुछ ट्रिक्स अपनाती हूं, जिससे मैथ्स मुझे फन की तरह लगती हैं। ऑल इंडिया 12वीं टॉपर पारस शर्मा कहते हैं कि अगर मैथ्स क्वेश्चन हल करते समय कैलकुलेटर का प्रयोग न किया जाए, तो भी बड़ी से बड़ी संख्या को कुछ सेकंड्स में मल्टीप्लाइ करने की आदत पड़ जाती है। इससे कई अंकों के स्क्वायर या क्यूब्स भी मुंहजुबानी याद हो जाते हैं।

क्लियर हो लॉजिक

थ्योरम्स तुम्हें तभी भारी लगते हैं, यदि उनका लॉजिक क्लियर न हो। ऐसा होने पर तुम उन्हें रट लेते हो। जब किसी मैथ्स प्रॉब्लम में उन थ्योरम्स को अप्लाई करने की बारी आती है, तो रटा हुआ भूल जाते हो। इससे एग्जाम में बहुत परेशानी होती है। यही बात फॉर्मूला पर भी लागू होती है। पहले प्रॉब्लम को ध्यानपूर्वक पढ़ो और उसमें छिपे लॉजिक और स्टेप्स का पता लगाओ। किसी दोस्त के साथ प्रॉब्लम को डिस्कस कर उसका हल निकालना भी फायदेमंद तरीका है। ध्यान रखो कि मैथ्स की प्रॉब्लम्स को सॉल्व करते समय शॉर्टकट्स का प्रयोग न करो। सवालों को लिखकर सॉल्व करने से कॉन्फिडेंस हासिल होता है।

फॉर्मूला का विजुअलाइजेशन

रचित अगर ट्रिगनॉमेट्री के सवाल हल करने बैठता है, तो cos, cosec, secमें कन्फ्यूज हो जाता है। सभी फॉर्मूला इन्हीं पर बेस्ड होने के कारण उसे मैथ्स के क्वैश्चन बेहद कठिन लगते हैं। चर्चित मैथमेटिशियन और मेमोरी गुरु विश्वरूप राय चौधरी ने इन्हें याद रखने का बेहद अनोखा तरीका बताया है। उन्होंने मैथ्स में प्रयोग होने वाले साइन को कुछ दिलचस्प नामों के साथ जोड़ा है। उदाहरण के लिए sinको सुष्मिता सेन,cos को कॉस्मेटिक cosecको कैसेट,tan को टैंक, secको सेक्रेटरी आदि से जोड़ा है। वहीं + के निशान को एंबुलेंस और - यानी माइनस साइन को याद रखने के लिए सिनेमा के किसी विलेन के नाम को इससे जोड़ देते हैं। फॉर्मूला को पिक्चर फॉर्म में याद रखने की ट्रिक तुम्हारे लिए भी कारगर साबित हो सकती है। सभी फॉर्मूलाज को किसी एक नोटबुक में अलग-अलग चटख रंगों से नोट करो। दरअसल, हमारा दिमाग विजुअल्स और कलर्स को जल्दी और अधिक समय तक याद रख पाता है।


 साभार दैनिकजागरण

prathamik shikshak

pathak diary