अभिभावक से :-
बच्चे का गुस्सा नहीं है अच्छा
बबीता सिन्हा
बातों पर कहासुनी तक तो ठीक है, पर
अगर आपका बच्चा मारपीट करके घर आ रहा है तो आपको इस बात को गंभीरता से लेना होगा।
यह जानना होगा कि इस व्यवहार के पीछे क्या कारण है और उसमें सुधार कैसे संभव है।
अगर समय पर आपने सही कदम नहीं उठाया तो भविष्य में आपकी परेशानी बढ़ सकती है। बता
रही हैं बबीता सिन्हा
बच्चे तो शरारती होते ही हैं। पर वे जितना
शरारत में तेज होते हैं उतना ही पढ़ाई और दूसरे कामों में भी हो सकते हैं, बशर्ते
उन्हें सही दिशा मिले। आप उनकी ऊर्जा को सही दिशा में लगा सकें। अगर उन्हें कहीं
से भी सही प्रोत्साहन न मिले और हमेशा उनकी गलतियों पर टोका-टाकी या डांट-फंटकार
ही लगाई जाए तो ऐसे बच्चे अति उत्साह में कभी-कभी गलत काम भी कर बैठते हैं। एक
छोटी-सी बात पर कई बार बच्चे झगड़ा एवं मार-पीट करते हैं और एक-दूसरे को हानि पहुंचा
देते हैं।जब इस तरह की घटनाएं बढ़ने लगती हैं तो बच्चे का व्यवहार भी आक्रामक होता
जाता है।
दरअसल, बचपन में
मां-बाप और शिक्षक बच्चे को कुम्हार की तरह उनके विचारों को रचते हैं। इसलिए
मां-बाप और शिक्षकों को समय-समय पर सही और गलत के ज्ञान के साथ-साथ हर परिस्थिति
में सामंजस्य बैठाना सिखाना चाहिए। बच्चों में स्कूल, घर और
बाहर में कई कारणों से झगड़े होते हैं जो कई बार उग्र रूप ले सकते हैं। इन झगड़ों
में किसी बच्चे की चीज उससे बिना पूछे लेना, सहपाठियों
का मजाक उड़ाना, खुद शरारत करके दूसरे बच्चे का नाम लगा देना,
सहपाठी या दोस्त को थप्पड़ मार देना आदि आम है। पर, अगर
सही समय पर इन गलत आदतों को न रोका जाए तो ये बच्चे के व्यक्तित्व का हिस्सा बन
जाती हैं। कई बार बच्चा घर के सदस्यों को छोटी-छोटी बात पर झगड़ते देखता है तो वो
बातें उसके दिमाग में घर कर जाती हैं उसके व्यवहार में भी वो बातें आ जाती हैं।
अगर घर में एक बच्चे को दूसरे बच्चे से ज्यादा तवज्जो मिले या फिर घर में
बड़े-बुजुर्ग अधिक लाड़-प्यार में बच्चों के गलत बातों को नजरअंदाज कर दें,
तो भी ऐसा होता है।
मैं नहीं हूं लड़ाकू
बच्चों को छोटी-छोटी बातें सिखानी चाहिए। जैसे
गलती करने पर सॉरी बोलना या गलती मानना। किसी दूसरे का सामान इस्तेमाल करने से
पहले उससे पूछना। ऊंची आवाज में बात नहीं करना आदि।
उनके गलत व्यवहार को इस तरह से समझाना कि यदि
उनके साथ कोई ऐसा करे तो उन्हें कैसा लगेगा।
बच्चों को दूसरों की वस्तुओं की कद्र करना
सिखाना चाहिए।
आपको अपने बच्चे को यह सिखाना होगा कि
नकारात्मक परिस्थिति में उसे कैसा व्यवहार करना चाहिए। अगर वह बहुत नाराज है तो
उसे समझाना चाहिए कि वह अपने गुस्से पर कैसे काबू रखे, जैसे
थोड़ी देर चुप रहना, कहीं और देखना, पानी
पीना या थोड़ी देर के लिए वहां से चले जाना, उल्टी
गिनती गिनना इत्यादि। आप उसके लिए स्वयं को उदाहरण बनाकर पेश करें।
बच्चों की अपनी बुराई सुनना सिखाना चाहिए। इससे
भविष्य में अगर कोई उसके सामने ही उसकी बुराई करेगा, तो वह
उत्तेजित नहीं होगा और उसे सकारात्मक तौर पर लेगा। संभव है कि अपनी बुराई सुनकर वह
खुद में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश भी करे।
बच्चा चिड़चिड़ापन या झगड़ालू व्यवहार का ना हो
इसके लिए घर में हर समय खुशी का माहौल होना चाहिए। घर में ज्यादा से ज्यादा समय एक
दूसरे के साथ गुजारें। हर छोटी-सी खुशियां शेयर करें।
बच्चों को मार-पीट से दूर रहने की सलाह दें।
झगड़ालू या दबंग बच्चों से दोस्ती न रखने की सलाह दें। उनकी संगत पर नजर रखें।