मानव के जन्म के अवसर पर शिशु का मन निर्मल होता है। उसे संस्कारों द्वारा सही या गलत किसी भी राह की ओर मोड़ा जा सकता है। एक प्रकार से मानव का व्यक्तित्व कोरी स्लेट की तरह होता है, जिस पर संस्कार की भाषा का आलेखन होता है। ये संस्कार ही व्यक्ति की सफलता व असफलता के मापदंड होते हैं।