Wednesday, March 19, 2014

मानव के जन्म के अवसर पर शिशु का मन निर्मल होता है। उसे संस्कारों द्वारा सही या गलत किसी भी राह की ओर मोड़ा जा सकता है। एक प्रकार से मानव का व्यक्तित्व कोरी स्लेट की तरह होता है, जिस पर संस्कार की भाषा का आलेखन होता है। ये संस्कार ही व्यक्ति की सफलता व असफलता के मापदंड होते हैं।

prathamik shikshak

pathak diary