रटो नहीं समझ कर करो तैयारी
हां,
ये सच है कि जिस भी विषय को रटकर याद करते हो, वह ज्यादा दिन तक तुम्हारा साथ नहीं देता। इसलिए विषय को समझ कर पढ़ने की
आवश्यकता है। वैसे भी अब तुम्हारी परीक्षा पास है। ऐसे में तनाव होना स्वाभाविक
है। इस तनाव को दूर करने का एक ही तरीका है, विषय को रटने की
बजाए उसे समझकर याद करो। वह विषय चाहे लैंग्वेज हो या साइंस या फिर मैथ्स, हर विषय के साथ तुम इसे आजमा सकते हो।
समझने से अर्थ यह है कि विषय को जिसे तुम तैयार करना चाहते हो, उसे स्टेप बाई स्टेप पढ़ों, फिर लिखकर अभ्यास करने से वह विषय पूरी तरह से तुम्हारे साथ हो जाता है। परीक्षा के बाद भी तुम उसे नहीं भूलते। यही तो कमाल की बात है, जो तुम्हें रटने में नहीं मिलता, क्योंकि रटी हुई चीजें जिस रफ्तार से याद होती हैं, उसी तेजी से वह हमारी स्मृतियों से गायब भी हो जाती हैं।
समझने से अर्थ यह है कि विषय को जिसे तुम तैयार करना चाहते हो, उसे स्टेप बाई स्टेप पढ़ों, फिर लिखकर अभ्यास करने से वह विषय पूरी तरह से तुम्हारे साथ हो जाता है। परीक्षा के बाद भी तुम उसे नहीं भूलते। यही तो कमाल की बात है, जो तुम्हें रटने में नहीं मिलता, क्योंकि रटी हुई चीजें जिस रफ्तार से याद होती हैं, उसी तेजी से वह हमारी स्मृतियों से गायब भी हो जाती हैं।
मान लो
तुम्हें अंग्रेजी या हिन्दी की तैयारी करनी है तो तुम उसके शब्दों, अर्थों,
वाक्यांशों को टुकड़ों में करके याद करो। दुबारा उन्हें लिखकर देखो
कि उनमें से कितनी चीजें याद हुईं। जहां भी गलती हुई उसे दुबारा लिखकर अभ्यास करने
से हिन्दी या अंग्रेजी के मैटर तुम्हें याद हो जाएंगे। पाठ के अंत में दिए गए
सवालों को पढ़कर उत्तर देने होते हैं ऐसे में मूल पाठ को ठीक से पढ़ना चाहिए। फिर
उनके उत्तर उन्हीं वाक्यांशों में ढूंढ़ना चाहिए। जो शब्द समझ में नहीं आते हों
उन्हें या तो डिक्शनरी में देखो या फिर अपने टीचर से उनका अर्थ पूछ लो।
रटने से हमेशा बचना चाहिए, साथ ही पढ़ने-लिखने से विषय की बारीकियों को समझने में
आसानी होती है।
इसलिए विषय को रटो नहीं, बल्कि उसे समझकर लिखने का अभ्यास
करो।
साभार
हिंदुस्तान