जेबरा के
शरीर पर काली-सफेद धारियां होती हैं, जो जेबरा
की शारीरिक संरचना का ही एक हिस्सा हैं। लेकिन, वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं।
धारीनुमा शारीरिक बनावट के चलते जेबरा कीड़े-मकौड़ों से अपना बचाव कर पाते हैं।
दरअसल, हाल ही में वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगाया कि जेबरा के
शरीर पर जो धारीदार पट्टियां होती हैं, उसी के
चलते वह खून चूसने वाली मक्खियों से अपना बचाव कर पाते हैं। ये मक्खियां जेबरा की
अलग-अलग रंग वाली धारियों को देखकर चकाचौंध हो जाती हैं और उन्हें नीचे उतरने में
समस्या होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जानवरों के शरीर पर धारियां उन्हें
मक्खियों-कीड़ों और उनसे होने वाली बीमारियों से दूर रखने में मदद करती हैं।
इस तरह किया अध्ययन : शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान घोड़े के शरीर पर जेबरा जैसी
धारियां बनाई। इसके बाद देखा कि एक रंग के पेंट से रंगे घोड़े के मुकाबले धारीदार
पट्िटयों से पेंट किए गए घोड़े पर कितने कीड़े-मकौड़े और मक्खियां आते हैं। अध्ययन
में देखा गया कि कीड़े और मक्खियां दोनों ही घोड़ों पर बराबर आईं, लेकिन जब चक्कर लगाते हुए शरीर पर उतरने की बारी आई, तो धारीदार पट्टी वाले घोड़े पर कीड़े-मकोड़ों को काफी दिक्कत
महसूस हुई। यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल बायोलॉजिस्ट के शोधकर्ता मार्टिन हाऊ
ने किया है।
चकाचौंध हो जाती हैं मक्खियों की आंखें
शोधकर्ताओं के अनुसार जैसे ही मक्खियां धारियों के करीब आती हैं, उनकी आंखे चकाचौंध होने लगती हैं और कम दृश्यता में वह अपनी आंखों से पर्याप्त नहीं देख पातीं। कुछ बायोलॉजिस्ट यह भी कहते हैं कि जेबरा को अफ्रीकन हॉर्स सिकनेस, ट्राइपेंसोमाइसिस और इनफ्लुएंजा जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। ये बीमारियां हॉर्स फ्लाइज (मक्खी की एक प्रजाति) के कारण फैलती हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार जैसे ही मक्खियां धारियों के करीब आती हैं, उनकी आंखे चकाचौंध होने लगती हैं और कम दृश्यता में वह अपनी आंखों से पर्याप्त नहीं देख पातीं। कुछ बायोलॉजिस्ट यह भी कहते हैं कि जेबरा को अफ्रीकन हॉर्स सिकनेस, ट्राइपेंसोमाइसिस और इनफ्लुएंजा जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। ये बीमारियां हॉर्स फ्लाइज (मक्खी की एक प्रजाति) के कारण फैलती हैं।